उठे दर्द के भाव को छुपा लेती हैं, अपनी झूठी मुस्कान के पीछे। उठे दर्द के भाव को छुपा लेती हैं, अपनी झूठी मुस्कान के पीछे।
अब तो बेमानी सी लगती हैं बातें विश्वास,भरोसे की। अब तो बेमानी सी लगती हैं बातें विश्वास,भरोसे की।
के किसको बनाने के खातिर हम किसको मिटाना चाहते हैं। के किसको बनाने के खातिर हम किसको मिटाना चाहते हैं।
या वो झूठ जो सच पर लगाकर सीधी चढ़ता गया। या वो झूठ जो सच पर लगाकर सीधी चढ़ता गया।
मैं हूं व्यक्ति कुटुंब अगर यह मेरा होता मेरे सुख दुख में वह भी तो हंसता रोता । मैं हूं व्यक्ति कुटुंब अगर यह मेरा होता मेरे सुख दुख में वह भी तो हंसता रोत...
आदर्श तुम्हारे ख़ुद के ही, तहखाने में सड़ जाते है। आदर्श तुम्हारे ख़ुद के ही, तहखाने में सड़ जाते है।